दिल्ली आई थी पूनम और… रेड लाइट एरिया जीबी रोड की हिला देने वाली स्टोरी, जहां मासूमियत बिकती है

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देश की राजधानी दिल्ली अपनी चमकदार और जीवंत संस्कृति के लिए जानी जाती है.

लेकिन इसी शहर के अंधेरे कोनों में एक ऐसी दुनिया छिपी है, जहां मासूमियत की कीमत चंद रुपयों में लगाई जाती है. दिल्ली के कुख्यात रेड लाइट एरिया (Delhi red light area) जीबी रोड में नाबालिग लड़कियों को देह व्यापार (Sex trade) के लिए मजबूर किया जाता है. इन लड़कियों को गरीबी, अशिक्षा और प्रलोभनों के जाल में फंसाकर लाया जाता है और फिर उन्हें बेरहमी से शोषित किया जाता है.

14 साल की पूनम (बदला हुआ नाम) भी इसी नरक का हिस्सा बनने को मजबूर हुई. बेसहारा, गरीबी से जूझती पूनम रोजगार की तलाश में दिल्ली आई थी, लेकिन यहां उसे एक दलाल के चंगुल में फंसना पड़ा. उसने उसे जीबी रोड के वेश्यालय में बेच दिया.

सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट दिल्ली के थाना कमला मार्केट की चौकी श्रद्धानंद मार्ग (जीबी रोड) से पुलिस ने एक नाबालिग लड़की पूनम (बदला हुआ नाम) को वेश्यावृत्ति करवाने वाली महिला के चुंगल में छुड़ाया है . इस पुलिस कार्रवाई के बाद यह बात भी सामने आई है कि जीबी रोड के कोठों पर जबरन वेश्यावृत्ति (Prostitution) और महिला तस्करी का धंधा गुपचुप जारी है .

कमला मार्केट थाना इंचार्ज सीएल मीणा और श्रद्धानंद मार्ग महिला चौकी इंचार्ज किरण सेठी को एक गुप्त सूचना मिली कि जीबी रोड पर 42 नंबर कोठे पर एक 14 साल की नाबालिग लड़की को 3-4 दिन पहले बेचा गया है और कोठे की नायिका उसे देह व्यापार करने के लिए मजबूर कर रही है .

इस सूचना के आधार पर पुलिस ने तुरंत छापा मारा और अंजली नाम की नायिका के चंगुल में फंसी 14 वर्षीय पूनम को मुक्त करा लिया.

एनजीओ और पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पूनम ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की रहने वाली है. वह माता-पिता की मौत के बाद बेसहारा हो गई और इसलिए रोजगार की तलाश में दिल्ली आ गई थी. चार दिन पहले उसे दिल्ली के जाकिर नगर, ओखला में अनस नाम का व्यक्ति मिला था. उसने उससे रोजगार दिलवाने के बात कही और जीबी रोड के कोठे पर अंजली के पास बेच दिया.

फिलहाल पुलिस ने लड़की के बयान के आधार पर जबरन वेश्यावृति करवाने और मानव तस्करी के मामले में भारतीय न्याय संहिता के अंर्तगत 127/137/142/143/144/98/99/64 (1) और 3,4,5,6 ITP ACT 6 POCSO ACT में मुकदमा दर्ज कर लिया है. अंजली को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस दूसरे आरोपी अनस की तलाश में जुट गई है.

दूर-दूर से लाई जाती हैं बेबस लड़कियां
पूनम की तरह अनेक नाबालिग लड़कियां हैं, जो अनस, अंजली जैसे लोगों के चंगुल में फंसी हैं. बिजनौर, असम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, नेपाल, बैंगलोर जैसे दूर-दराज के इलाकों से इन बेबस लड़कियों को लाया जाता है और फिर बेच दिया जाता है. वे यहां के कोठों पर इसी तरह की पीड़ा सह रही हैं. मुमकिन है कि कम उम्र की और भी लड़कियां देह व्यापार के धंधे में धकेली गई हों.

इस घिनौने धंधे में कई लोग शामिल हैं – दलाल, वेश्यालय मालिक, ग्राहक और वे लोग जो इन लड़कियों को लाने-ले जाने का काम करते हैं. ये लोग न सिर्फ़ इन लड़कियों की मासूमियत का सौदा करते हैं, बल्कि उनके जीवन को भी बर्बाद कर देते हैं.

कानून के पहरेदार भी बेबस
इस काले कारोबार पर रोक लगाने के लिए कानून मौजूद हैं, पुलिस भी तैनात है, लेकिन सब असरहीन हैं. पूनम जैसी लड़कियों को न्याय नहीं मिल पाता और दलाल खुलेआम अपना धंधा चलाते रहते हैं.

हालांकि कुछ लोग इन लड़कियों को बचाने के लिए काम कर रहे हैं. कई गैर-सरकारी संगठन इन लड़कियों को वेश्यालयों से निकालकर उन्हें शिक्षा और पुनर्वास का मौका देते हैं.

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पूनम और उसकी तरह की लड़कियां भी हम में से ही एक हैं. इनकी पीड़ा को कम करने और इनके जीवन में उजाला लाने के लिए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे. यह जरूरी है कि हम इन लड़कियों के प्रति सहानुभूति रखें, इनके खिलाफ होने वाले अपराधों की सूचना पुलिस को दें और सामाजिक संगठनों के कार्यों में सहयोग करें. ऐसा करके ही दिल्ली के रेड लाइट एरिया से मासूमियत की खरीद-फरोख्त को खत्म किया जा सकेगा और इन लड़कियों को एक बेहतर जीवन मिल पाएगा.

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