एक जुलाई से देशभर में लागू तीन नए कानूनों के खिलाफ तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन के बाद अब राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक सदस्यीय समिति का गठन किया है। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एम सत्यनारायण समिति के अध्यक्ष होंगे।
यह समिति इन कानूनों में राज्य स्तर पर किए जाने वाले संशोधनों का अध्ययन करेगी और प्रदेश सरकार को अपनी सिफारिश भेजेगी। समिति अधिवक्ता संघों और अन्य हितधारकों से बातचीत करने के बाद एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
तमिलनाडु में कानूनों का विरोध क्यों?
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई समेत कई शहरों में हजारों वकीलों ने केंद्र के तीन नए कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। दरअसल, वकीलों का कहना है कि इन कानूनों का नामकरण संस्कृतनिष्ठ हिंदी में किया गया है। तिरुचिरापल्ली में संयुक्त अधिवक्ता कार्रवाई समिति (जेएसी) के सदस्यों ने तीन नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
डीएमके सांसद ने बताई ये कहानी
डीएमके सांसद और अधिवक्ता एनआर एलंगो का कहना है कि तीनों नए आपराधिक कानून लोकतंत्र और संविधान विरोधी हैं। इनका नाम संस्कृत में है। मगर अनुच्छेद 348 के अनुसार संस्कृत में नाम नहीं रखा जा सकता है। इन सबके अलावा तीनों कानून आरोपी व्यक्तियों और पीड़ितों के हितों के खिलाफ हैं। यही वजह है कि इन्हें लागू नहीं किया जा सकता। इन्हें खत्म करके फिर से विचार करना होगा।
सांसदों को निलंबित कर किया पारित: दुरई वाइको
एमडीएमके सांसद दुरई वाइको ने नए कानूनों पर कहा कि केंद्र सरकार ने तीन आपराधिक कानूनों में बदलाव किया है, लेकिन यह विपक्षी दलों की मंजूरी के बिना किया गया। विपक्षी दल के करीब 150 सांसदों को निलंबित करने के बाद तीनों कानूनों को पारित किया गया था। यह लोकतंत्र विरोधी हैं।
ये हैं तीन नए कानून
भारतीय न्याय संहिता।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम।
तीन नए कानून से जुड़ी अहम बातें
तीन कानून 1 जुलाई 2024 से पूरे देश में लागू।
21 दिसंबर 2023 को संसद से मिली थी मंजूरी।
25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति ने लगाई थी मुहर।
दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता लागू।