हरियाणा विधानसभा चुनाव की वो 9 सीटें जिनपर रहेंगी सभी की नज़रें

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Haryana assembly elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए आज वोटिंग (Haryana Assembly election voting) है. शाम से देश के चैनल एग्जिट पोल (Exit polls on Haryana elections) दिखाएंगे.

इससे पहले 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा के कुछ तथ्यों पर नजर डाल लेते हैं. इस बार चुनाव में बीजेपी (BJP), कांग्रेस (Congress) के साथ-साथ आईएनएलडी (INLD), आम आदमी पार्टी (AAP), जेजेपी (JJP), बीएसपी (BSP), आजाद समाज पार्टी (ASP) भी मैदान में है. जेजेपी और आजाद समाज पार्टी साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. कई दलों में बागी पार्टी का खेल बिगाड़ सकते हैं जबकि नए दल भी इस बार बड़े दलों के समीकरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं. चुनाव में 1031 कैंडिडेट अपने भाग्य का फैसला आजमा रहे हैं. राज्य में करीब दो करोड़ मतदाता हैं. इसमें एक करोड़ 5 लाख पुरुष और 95 लाख महिला मतदाता हैं.

बीजेपी को तीसरी बार जीत की उम्मीद

सत्ताधारी दल बीजेपी लगातार तीसरी बार चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के इरादे से चुनाव लड़ रही है, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस एक बार सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए है. हरियाणा चुनाव में पहली बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी भी जीत दम भर रही है. पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट जमानत मिलने के बाद से हरियाणा के चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है.

जातियों को साधने की तैयारी

कहा जा रहा है कि बीजेपी गैर जाट वोट के साथ ओबीसी, पंजाबी और ब्राह्मणों के वोट के सहारे है. यही कारण है कि चुनाव से पहले बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर के स्थान पर नायब सिंह सैनी को सीएम बना दिया. सैनी ओबीसी वर्ग से आते हैं. वहीं कांग्रेस का सीधा फोकस अन्य वोटों के अलावा मुख्य रूप से जाट वोटों पर है. राज्य की 17 सीटें दलित वर्ग के प्रत्याशियों के लिए आरक्षित हैं और इसलिए सभी दलों को फोकस दलित वोटों पर भी है.

ऐसे में 9 प्रमुख सीटों के बारे में चर्चा कर लेते हैं.

लाडवा
सबसे पहले बात लाडवा सीट की. इस सीट से राज्य के सीएम नायब सिंह सैनी चुनाव लड़ रहे हैं. यह सीट कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट के तहत आती है और यहां से बीजेपी को 47 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे. माना जा रहा है कि यह सीट बीजेपी के सुरक्षित सीट है.

लाडवा सीट को 2007 में बनाया गया था . इस सीट पर सबसे पहले आईएनएलडी के शेर सिंह बरसामी जीते थे. लेकिन बरसामी को टीचर घोटाले में फंसे जिसके बाद बीजेपी के पवन सैनी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. 2019 में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. इस बार कांग्रेस पार्टी की ओर से मेवा सिंह ने सीट जीती.

कहा जा रहा है कि इस सीट पर सैनी को आम आदमी पार्टी के जोगा सिंह, आईएनएलडी के शेर सिंह बरसामी, कांग्रेस के मेवा सिंह और जेजेपी के विनोद शर्मा से कड़ी टक्कर मिल सकती है.

जुलाना
इस बार हरियाणा की जुलाना सीट भी चर्चा में हैं. इस सीट से महिला पहलवान विनेश फोगाट चुनाव में अपने भाग्य का फैसला आजमा रही हैं. जुलाना जींद जिले में आता है. यहां पर करीब 2 लाख मतदाता प्रत्याशियों में से किसी को विधानसभा में भेजेंगे. खास बात यह है कि कांग्रेस पार्टी की ओर से विनेश फोगाट महिला प्रत्याशी हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पुरुष प्रत्याशी उतारे हैं. बीजेपी ने योगेश बैरागी को टिकट दिया है.

जेजेपी ने अमरजीत ढांडा को टिकट दिया है जिन्होंने पिछले चुनाव में 49 फीसदी वोट के साथ जीत दर्ज की थी. इस सीट पर आईएनएलडी ने सुरेंद्र लाठर को टिकट दिया है. आम आदमी पार्टी ने कैता दलाल को टिकट दिया है. इस सीट पर जाट वोट काफी संख्या है जो चुनाव में जीत हार तय कर सकता है. जाट यहां पर 81000, पिछड़ा वर्ग के 33 हजार और एससी वर्ग के 30 हजार के करीब वोट हैं.

हिसार
हिसार की सीट के चुनाव पर इस बार सबकी नजरें टिकी हुई हैं. यहां से बीजेपी से नाराज़ होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं धनी परिवार से संबंध रखने वाली सावित्री जिंदल चुनावी मैदान में हैं. उनके सामने बीजेपी से वर्तमान विधायक कमल गुप्ता चुनावी मैदान में हैं. गुप्ता राज्य की सरकार में मंत्री भी हैं. 2014 के चुनाव में जिंदल को कमल गुप्ता ने हराया था. उस समय सावित्री कांग्रेस पार्टी से उम्मीदवार थीं. इस सीट से कांग्रेस पार्टी की ओर से राम निवास रारा को चुनावी मैदान में उतारा गया है.

अटेली
इसके बाद दूसरी महत्वपूर्ण सीट अटेली है जिसकी चर्चा की जा सकती है. यह सीट अहिरवाल बेल्ट में आती है. यहां पर 50-60 फीसदी आबादी यादवों की है. इस सीट पर बीजेपी की ओर से आरती राव सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है. आरती गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजित सिंह की बेटी हैं और पहली बार चुनाव लड़ रही हैं.

बड़ी बात यह है कि इस सीट पर महिला प्रत्याशियों की कड़ी टक्कर बताई जा रही है. इस सीट पर कांग्रेस पार्टी से पूर्व विधायक अनीता यादव और बीएसपी से ठाकुर अत्तर लाल चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर जेजेपी ने आयुषी यादव को मैदान में उतारा है. आयुषी यादव बीजेपी नेता राव नरबीर सिंह की बेटी हैं. वहीं, बॉलीवुड के जाने माने एक्टर राजकुमार राव के भाई सुनील राव आम आदमी पार्टी से मैदान में हैं.

मुलाना

हरियाणा की मुलाना सीट पर भी चुनाव दिलचस्प है. यहां पर बीजेपी की 68 वर्षीय संतोष चौहान सरवन के खिलाफ कांग्रेस पार्टी से 38 वर्षीय पूजा चौधरी चुनावी मैदान में हैं. अटेली की तरह इस सीट पर भी दो प्रमुख प्रत्याशियों में महिलाएं हैं. संतोष यहां से सिटिंग विधायक हैं. पूजा पहली बार चुनावी मैदान में उतरीं हैं. पूजा कांग्रेस सांसद वरुण चौधरी की पत्नी हैं. 2019 में मुलाना की सीट पर वरुण ने जीत दर्ज की थी लेकिन अंबाला से सांसद का चुनाव जीतने के बाद विधायकी छोड़ दी.

अंबाला कैंट
अंबाला कैंट की यह सीट बीजेपी के अनिल विज के लिए अहम है. अनिल विज पार्टी के कद्दावर नेता हैं और खुद को बतौर सीएम प्रत्याशी के रूप में पार्टी के सामने प्रस्तुत भी कर चुके हैं. वे छह बार विधायक रह चुके हैं और सातवीं बार जीत की कोशिश में हैं. कांग्रेस से परविंदर पारी और बागी उम्मीदवार चित्रा सरवारा भी मैदान में हैं. इससे इस सीट पर मुकाबला कड़ा हो गया है​.

रानियां
सिरसा जिले की रानियां सीट पर बीजेपी से टिकट न मिलने पर रणजीत चौटाला निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने इनेलो से अर्जुन चौटाला (उनके पोते) खड़े हैं, जिससे दादा-पोते की लड़ाई ने इस सीट को रोचक बना दिया है​. रानियां हरियाणा राज्य में सिरसा जिले का एक शहर है. 2009 में रानियां एक अलग विधानसभा क्षेत्र बनाया गया था. यह पहले ये एलेनाबाद विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था.

डबवाली
हरियाणा चुनाव में डबवाली सीट भी चर्चा में हैं. इस सीट पर देवीलाल परिवार की दो शाखाएं चुनाव में भिड़ रही हैं. जेजेपी से दिग्विजय चौटाला और कांग्रेस से अमित सिहाग (दोनों देवीलाल के वंशज) चुनावी मैदान में हैं​.

तोशाम
हरियाणा चुनाव में तोशाम विधानसभा सीट काफी अहम है. इस सीट पर बंसीलाल परिवार के दो प्रमुख सदस्य आमने-सामने हैं. बंसीलाल की पोती और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी बीजेपी की उम्मीदवार हैं. वे बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस ने उनके परिवार के ही एक अन्य सदस्य को उतारा है. कांग्रेस ने बंसीलाल के पोते और रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को टिकट दिया है. यह टकराव परिवारिक प्रतिस्पर्धा के रूप में देखा जा रहा है, जिससे यह सीट और भी दिलचस्प हो गई है. यह सीट बंसीलाल परिवार की पैतृक सीट मानी जाती है और इसलिए यहां का मुकाबला व्यक्तिगत और पारिवारिक सम्मान से भी जुड़ा हुआ है.

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