अमेरिका ने प्रतिबंध के बाद भी भारत द्वारा रूस के कच्चे तेल से बने ईंधन खरीदने पर ऐतराज जताया है.
रॉयटर्स के हवाले से खबर में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने बताया कि एक रूसी टैंकर से ऊंचे समुद्र में भारतीय जहाज ने तेल लिया और उसे पश्चिमी तट पर गुजरात के एक बंदरगाह पर लाया गया और यहां उसे रिफाइन कर भेज दिया गया. भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने बताया कि अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कहा कि यह ट्रांसफर हाई सी के जरिए हो रहा है. हालांकि, भारत में अमेरिकी दूतावास ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
यूक्रेन पर फरवरी के आक्रमण के बाद अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके तहत कच्चे तेल, रिफाइंड ईंधन, डिस्टिलेट, कोयला और गैस सहित रूसी मूल के ऊर्जा उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी थी.
आजादी के 75 साल पूरे होने पर हुए एक कार्यक्रम में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने बताया कि रिफाइन्ड प्रोडक्ट उस जहाज पर वापस डाल दिया गया था और यह बिना किसी गंतव्य के रवाना हो गया था. पात्रा ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि रूसी कच्चे तेल को संसाधित किया गया था और एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले डिस्टिलेट में परिवर्तित किया गया था. उन्होंने भारतीय पोत या रिफाइनर की पहचान नहीं की.
माइकल पात्रा का बयान इस तरह की अमेरिकी चिंताओं के लिए भारत का पहला आधिकारिक सार्वजनिक संदर्भ है. भारत रूस के खिलाफ प्रतिबंधों में शामिल नहीं हुआ है, ना ही खुलकर रूस के यूक्रेन पर हमले की निंदा की है.
दुनिया के तीसरे नंबर के तेल आयातक और उपभोक्ता भारत ने अतीत में शायद ही कभी रूसी तेल खरीदा हो. लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद से, भारतीय रिफाइनर कई पश्चिमी देशों और कंपनियों द्वारा छोड़े गए रियायती रूसी तेल को ले रहे हैं.