यूएनजीए में यूक्रेन पर जयशंकर बोले- हम शांति के पक्ष में, चीन और पाक पर भी साधा निशाना

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संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र में भारतीय समयानुसार शनिवार रात विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने संबोधित करते हुए आतंकवाद के साथ परोक्ष रूप से पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। यूएनजीए में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि वर्ष 2022 भारत की यात्रा में एक मील का पत्थर है।

उन्होंने अपना संबोधन शुरू करते हुए कहा कि मैं दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश से 130 करोड़ लोगों की शुभकामनाएं लेकर आया हूं। भारत अपनी आजादी के 75 साल मना रहा है, जिसे हम आजादी का अमृत महोत्सव कह रहे हैं। इस दौर की कहानी लाखों भारतीयों के परिश्रम, दृढ़ संकल्प और उद्यम की है।

यह नया भारत पीएम मोदी के नेतृत्व में अपने विकास को लेकर प्रतिबद्ध है। पीएम मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर पांच प्रण लिए थे। हम भारत को विकसित बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने दुनिया को वैक्सीन दी, लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। आज हमारा फोकस ग्रीन ग्रोथ, एक्सेसबल हेल्थ पर है। दुनिया कोरोना के बाद आर्थिक संकट से गुजर रही है। फ्यूल, फर्टिलाइजर और फूड को लेकर संकट बना हुआ है।

उन्होंने कोरोना महामारी का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा मानना है कि ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संकीर्ण राष्ट्रीय एजेंडे से ऊपर उठना चाहिए। भारत अपनी ओर से असाधारण समय में असाधारण उपाय कर रहा है। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में अफगानिस्तान में 50,000 मीट्रिक टन गेहूं और कई किश्तों में दवाएं और टीके भेजने, ईंधन, आवश्यक वस्तुओं और व्यापार निपटान के लिए श्रीलंका को 3.8 बिलियन डॉलर का कर्ज देने और म्यांमार को 10,000 मीट्रिक टन खाद्य सहायता और वैक्सीन की आपूर्ति करने जैसे उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से आपदा के समय में अपने करीबी मित्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत सदियों से सीमा पर विदेशी हमलों, उपनिवेशवाद से पीड़ित समाज का अब कायाकल्प कर रहा है और लोकतांत्रिक ढांचे में ऐसा कर रहा है। जिसकी अध्ययन प्रगति अधिक प्रामाणिक आवाजों और जमीनी नेतृत्व में परिलक्षित होती है। इस संघर्ष का शीघ्र समाधान खोजने के लिए संयुक्त राष्ट्र के भीतर और बाहर दोनों जगह काम करना हमारे सामूहिक हित में है।

आतंकियों को बचाने की कोई वजह जायज नहीं
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकियों को बचाने की वजह कुछ भी हो जायज नहीं ठहराया जा सकता। वह शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र को संबोधित कर रहे थे। चीन व पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, जो लोग सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का राजनीतिकरण कर आतंकवादियों को बचा रहे, वे अपने जोखिम पर ऐसा कर रहे। जयशंकर ने कहा, न वे अपने हित आगे बढ़ा रहे हैं, न छवि बेहतर कर रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से आतंकवाद के प्रायोजक देशों व उन्हें बचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। चीन ने हाल ही में 26/11 हमले में शामिल आतंकी पर अमेरिकी प्रस्ताव को पिछले दिनों रोक दिया था।

आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेंगे : जयशंकर
उन्होंने कहा कि भारत सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित रहा है। हम आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से आतंकवाद के प्रायोजक देशों और उन्हें बचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की। उन्होंने कहा कि भारत बड़ी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर चर्चा को प्रक्रियात्मक रणनीति से अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए और ऐसा करने वाले इस प्रक्रिया को हमेशा के लिए बंधक नहीं बना सकते हैं।

भारत वर्तमान में 15 देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक अस्थायी सदस्य है, इस साल दिसंबर में अपना दो साल का कार्यकाल पूरा करेगा जब वह परिषद की अध्यक्षता करेगा। जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय वार्ता में कहा कि भारत बड़ी जिम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार है। लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहता है कि ग्लोबल साउथ के साथ हो रहे अन्याय को निर्णायक रूप से संबोधित किया जाए।

उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकाल में, हमने परिषद के सामने आने वाले कुछ गंभीर लेकिन विभाजनकारी मुद्दों पर एक सेतु के रूप में काम किया है। हमने समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद का मुकाबला करने जैसी चिंताओं पर भी ध्यान केंद्रित किया है। जयशंकर ने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि हमारा योगदान मानव स्पर्श के साथ प्रौद्योगिकी प्रदान करने से लेकर संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तक है।

भारत जी-20 की अध्यक्षता, आतंकवाद से निपटने वाली कमेटी की अध्यक्षता करने जा रहा है। विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर हमसे पूछा जाता है कि हम किसके पक्ष में हैं और हमारा जवाब हर बार सीधा और ईमानदार होता है। भारत शांति के पक्ष में है। हम उस पक्ष में हैं जो बातचीत और कूटनीति को ही एकमात्र रास्ता बताता है।

जलवायु परिवर्तन पर रखा पक्ष
विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने जलवायु परिवर्तन पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जलवायु को लेकर कार्रवाई और जलवायु संबंधी न्याय विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, एक सूरज एक दुनिया एक ग्रिड पहल और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के टकराव पर अपने सहयोगियों के साथ काम किया है।

उन्होंने कहा कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा और वैश्विक कल्याण के लिए किसी भी सामूहिक और न्यायसंगत प्रयास का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। पर्यावरण के लिए जीवन शैली या LiFE, जैसा कि COP26 के मौके पर ग्लासगो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित किया गया है, यह प्रकृति मां के प्रति हमारी श्रद्धा है।

भारत यूएनएफसीसीसी (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन) और पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। हम अलग-अलग राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांत पर ऐसा करते हैं। हमने COP26 के बाद अपने अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों की घोषणा भी की है।
संयुक्त राष्ट्र विकास प्रशासक स्टेनर से की मुलाकात
अपने संबोधन के बाद विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र विकास प्रशासक अचिम स्टेनर से मुलाकात की। विदेश मंत्री ने ट्वीट के माध्यम से बताया कि यूएनडीपी दक्षिण-दक्षिण सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए भारत का एक ठोस भागीदार रहा है। हमारी चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए।

रूस ने सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए फिर किया भारत का समर्थन
रूस ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने के लिए भारत का समर्थन किया है। रूस के वित्त मंत्री सर्गेई लावरोव ने यूएनजीए के सत्र में कहा कि हम अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों के प्रतिनिधित्व के माध्यम से सुरक्षा परिषद को और अधिक लोकतांत्रिक बनाने की संभावना देखते हैं। इनमें भारत और ब्राजील विशेष रूप से प्रमुख देश हैं और इन्हें परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए गिना जाना चाहिए।

जयशंकर ने रूसी विदेशमंत्री लावरोव से की चर्चा
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को यहां यूएनजीए के 77वें सत्र में संबोधन से पहले अपने समकक्ष रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों ने द्विपक्षीय सहयोग, यूक्रेन, जी-20 और संयुक्त राष्ट्र सुधार के मुद्दे पर चर्चा की। जयशंकर ने एक ट्वीट कर कहा कि यूएनजीए77 में रूसी विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव के साथ व्यापक बातचीत हुई।

उन्होंने कहा कि हमने द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की। यूक्रेन, जी -20 और संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र में जयशंकर के संबोधन से कुछ घंटे पहले यह बैठक हुई। लावरोव का भी शनिवार को महासभा को भी संबोधित किया।

भारत आज दुनिया कि लिए मायने रखता है : जयशंकर
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि कोई सवाल ही नहीं है कि यूएनजीए दुनिया की स्थिति को दर्शाता है, जो इस समय विशेष रूप से ध्रुवीकृत है और इस तरह से पता चलता है कि भारत कितना मायने रखता है। साथ ही उन्होंने कहा कि आज हमें व्यापक रूप से वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में माना जाता है। विश्व अर्थव्यवस्था में संकट है जहां भोजन की लागत, ईंधन, उर्वरक, ऋण की स्थिति गहरी चिंताएं हैं। इन मुद्दों पर सुनवाई नहीं होने से मायूसी है। भारत के अलावा कोई और नहीं है जो इस पर आवाज उठा रहा है।

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि महासभा में किसी देश के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों या वित्त मंत्रियों के लिए किसी दूसरे देश का उल्लेख करना सामान्य बात नहीं है, लेकिन कई लोगों ने कई अवसरों पर भारत के लिए बात की। यह पुष्टि करता है कि भारत अधिक मायने रखता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि जलवायु की आपात स्थिति चुनौतीपूर्ण है और दक्षिण एशिया व यूरोप में सामने आ चुकी हैं। इसमें भारत ने जो नेतृत्व दिखाया है, उसे देखते हुए उन्होंने हमारे साथ काम करने में रुचि दिखाई है। पीएम मोदी के मार्गदर्शन में डिलीवरी उनकी ताकत है… किसी विचार को साकार रूप बदलना पीएम मोदी का मजबूत बिंदु है।

उन्होंने रूसी वित्त मंत्री के साथ अपनी चर्चा पर कहा कि हमारी द्विपक्षीय सहयोग, संयुक्त राष्ट्र सुधार, यूक्रेन से जुड़े मुद्दों पर बात हुई है। उन्होंने मुझे रूसी परिप्रेक्ष्य से घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी। जी20 पर चर्चा हुई क्योंकि ये कुछ महीनों में होगा। यूएनजीए में यूक्रेन के प्रधानमंत्री के साथ चर्चा पर विदेश मंत्री ने कहा कि बड़ी चिंता स्वयं संघर्ष थी। उन्होंने मुझे यूक्रेन के बारे में अपनी धारणा और चिंताएं बताईं। भारत के संदर्भ में, हमने अपनी स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने इस बात की सराहना की कि हम संघर्ष जारी रखने के खिलाफ और बातचीत व कूटनीति पर लौटने के पक्षधर हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव से की चर्चा
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ट्वीट कर बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ वैश्विक चुनौतियों पर व्यापक चर्चा हुई। इसके एजेंडे में यूक्रेन संघर्ष, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार, जी20, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और विकास के आंकड़े शामिल थे।

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