Bihar Weather: बिहार में 24 घंटे में फिर बदलेगा मौसम, IMD ने जारी किया अलर्ट; बढ़ेंगी लोगों की मुश्किलें
प्रदेश का मौसम पछुआ के कारण शुष्क बना हुआ है। न्यूनतम व अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर है।
तापमान में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार, सोमवार को पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) पर्वतीय इलाकों को प्रभावित करेगा।
पहाड़ी इलाकों में बूंदाबांदी की संभावना
एक चक्रवातीय परिसंचरण का क्षेत्र हरियाणा व इसके आसपास बना हुआ है। इनके प्रभाव पर्वतीय इलाकों पर बर्फबारी व मैदानी इलाकों में हल्की बूंदाबांदी की संभावना है। पर्वतीय इलाकों से आने वाली सर्द पछुआ हवा का प्रवाह प्रदेश में होने से 24 घंटे बाद न्यूनतम तापमान में गिरावट आएगी। इसके साथ ही अधिकतम तापमान में गिरावट आने से सुबह-शाम के दौरान ठंड में हल्की वृद्धि की संभावना है।
सामान्य से 99 फीसदी कम बारिश
मौसम विज्ञानी एसके पटेल के अनुसार, इस बार प्रदेश में व्यापक रूप से ठंड में कमी रहने का कारण पश्चिमी विक्षोभ का मजबूत नहीं होना और वर्षा की कमी रही। एक जनवरी से 16 फरवरी तक प्रदेश में सामान्य से 99 फीसदी कम बारिश हुई है। इसके कारण तापमान अपने सामान्य से ऊपर बने होने के साथ मौसम में बदलाव की स्थिति जारी है।
किसानों को सलाह
मौसम में हो रहे बदलाव को देखते हुए किसान भाईयों को सलाह दी गई है कि गेहूं फसल के लिए पटवन का सही समय है।
बांका में दर्ज हुआ सबसे कम तापमान
बीते 24 घंटों के दौरान पटना सहित 27 शहरों के न्यूनतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। पटना का न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री वृद्धि के साथ 14.6 डिग्री सेल्सियस रविवार को दर्ज किया गया। 8.8 डिग्री सेल्सियस के साथ बांका में प्रदेश का सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।
औरंगाबाद और भोजपुर रहा सबसे गर्म
प्रदेश का न्यूनतम तापमान 10-16 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहा, जबकि पटना सहित अधिसंख्य शहरों के अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर बना रहा। पटना का अधिकतम तापमान 1.3 डिग्री वृद्धि के साथ 28.4 डिग्री सेल्सियस व 29.6 डिग्री सेल्सियस के साथ औरंगाबाद व भोजपुर में सर्वाधिक अधिकतम तापमान दर्ज किया गया।
प्रमुख शहरों का तापमान
शहर |
अधिकतम तापमान (डिग्री सेल्सियस में ) |
न्यूनतम तापमान (डिग्री सेल्सियस में) |
पटना | 28.4 | 14.6 |
गया | 28.9 | 11.6 |
भागलपुर | 27.7 | 12.4 |
मुजफ्फरपुर | 25.8 | 14.7 |
अरवल : तापमान में अस्थिरता से फसल को नुकसान
जिले में दो हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है। इस साल विपरीत मौसम और अधिक तापमान रहने से गेहूं के पिछात पौधे का विकास नहीं हो सका है, जिससे हल्के और छोटे दाने बनने की आशंका है।
अनुमंडल कृषि पदाधिकारी मनीष कुमार के अनुसार गेहूं की बुआई के लिए उपयुक्त समय 25 दिसंबर तक होता है। इस अवधि में की गई बुआई से आमतौर पर पौधों की लंबाई 2 से 4 फुट तक होती है, लेकिन इस बार 15 दिसंबर के बाद बोए गए गेहूं के पौधे अपेक्षाकृत छोटे रह गए हैं।
गेहूं की फसल को नुकसान।
इनकी लंबाई दो फुट से भी कम हो गई है। गेहूं की अच्छी वृद्धि के लिए रात में ओस और दिन में चमकदार धूप आवश्यक होती है। इससे पौधों में भरपूर कल्ले निकलते हैं। फसल के विभिन्न चरणों में अलग-अलग तापमान की आवश्यकता होती है।
इस बार तापमान में अस्थिरता ने फसल को नुकसान पहुंचाया है। गेहूं की अच्छी उपज के लिए अधिकतम तापमान 24 से 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान नौ डिग्री सेल्सियस से कम नहीं होना चाहिए। जनवरी माह में जिले में अधिकतम तापमान 27 डिग्री तक पहुंच गया था। न्यूनतम तापमान भी 13 डिग्री सेल्सियस तक चला गया था।
फरवरी में भी अधिकतम तापमान 28 डिग्री या उससे ज्यादा दर्ज किया जा रहा है, जबकि न्यूनतम तापमान 10 से 14 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जा रहा है