Gupt Navratri: माघ माह में कब है गुप्त नवरात्रि, जानिए घट स्थापना से लेकर पूजन की विधि

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नए साल में पहली गुप्त नवरात्रि फरवरी माह में शुरु होने वाली है. नवरात्रि के समय मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.

एक साल में चार बार नवरात्र आते हैं माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन माह में. कहते हैं ये नवरात्र गुप्त विद्याओं की साधना के लिए यह श्रेष्ठ होते हैं. देवी अराधना करने वालों के लिए यह गुप्त नवरात्रि बहुत शुभफलकारी होते है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि माघ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को माघ गुप्त नवरात्रि और आषाढ़ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के रूप में जाना जाता है.

इस वर्ष की पहली नवरात्रि माघ मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा यानि 2 फरवरी से शुरू होने जा रही हैं. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की गुप्त तरीके से पूजा करने का विधान है. आइये जानते हैं माघ गुप्त नवरात्रि के घट स्थापना का मुहूर्त और पूजन की विधि.

माघ गुप्त नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त | Ghat Sthapana Muhurat

  • माघ माह के गुप्त नवरात्रि- 2 फरवरी 2022, बुधवार को है.
  • घट स्थापना शुभ मुहूर्त- सुबह 7 बजकर 10 मिनट से सुबह 8 बजकर 02 मिनट तक है.
  • कलश स्थापना मुहूर्त- 02 फरवरी को सुबह 8:34 से 09: 59 तक रहेगा.
  • अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:13 से 12:58 तक रहेगा.

गुप्त नवरात्रि पूजा विध‍ि |Gupt Navratri Puja Vidhi
शास्त्रों के अनुसार, गुप्त नवरात्रि के दौरान भी चैत्र (Chaitra Navratri 2022) और शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) की तरह ही घट स्थापना भी की जाती है.

गुप्त नवरात्रि के दिन साधक को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान-ध्यान कर लेना चाहिए.

माघ मास की गुप्त नवरात्रि की साधना के लिए घट स्थापना 2 फरवरी को प्रात:काल 07:09 से 08:31 के करना अत्यंत शुभ रहेगा.

देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को एक लाल रंग के कपड़े में रखकर लाल रंग के वस्त्र या फिर चुनरी आदि पहनाकर रखना चाहिए.

सुबह-शाम मां दुर्गा की पूजा (Maa Durga Puja) की जाती है और मां को लौंग और बताशे का भोग लगाया जाता है.

इसके बाद मां को शृंगार का सामान जरूर अर्पित करें.

सुबह और शाम दोनों समय पर दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें.

‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करें.

इसके साथ एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोना चाहिए, जिसमें प्रतिदिन उचित मात्रा में जल का छिड़काव करते रहना होता है.

मंगल कलश में गंगाजल, सिक्का आदि डालकर उसे शुभ मुहूर्त में आम्रपल्लव और श्रीफल रखकर स्थापित करें.

फल-फूल आदि को अर्पित करते हुए देवी की विधि-विधान से प्रतिदिन पूजा करें.

अष्टमी या नवमी के दिन देवी की पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें पूड़ी, चना, हलवा आदि का प्रसाद खिलाकर कुछ दक्षिण देकर विदा करें.

गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन देवी दुर्गा की पूजा के पश्चात् देवी दुर्गा की आरती गाएं.

पूजा की समाप्ति के बाद कलश को किसी पवित्र स्थान पर विसर्जन करें.

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