कोरोना के बाद दुनियाभर को मंकीपॉक्स नाम की बीमारी ने डरा रखा है. इसलिए पिछले कुछ दिनों से इसकी काफी चर्चा हो रही है.
WHO ने शनिवार को एक बैठक के बाद कहा कि मंकीपॉक्स फिलहाल अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सबब नहीं है. दरअसल डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक इस बीमारी को लेकर आईएचआर आपातकालीन समिति द्वारा दी गई सलाह से सहमत नज़र आ रहे हैं. ऐसे में फिलहाल मंकीपाक्स अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय नहीं है.
हालांकि, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनाम घेब्येयियस ने मंकीपाक्स को लेकर अपनी चिंता जरूर जाहिर की. टेड्रोस एडनाम घेब्येयियस ने कहा कि मंकीपाक्स वायरस के आगे प्रसार को रोकने के लिए फौरन हरकत में आने की जरूरत है.
पश्चिम और मध्य अफ्रीकी देशों के बाहर मई की शुरुआत से मंकीपॉक्स के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. ज्यादातर नए मामले पश्चिमी यूरोप में सामने आए हैं. टेड्रोस ने कहा, “आपातकालीन समिति ने मौजूदा प्रकोप के पैमाने और गति के बारे में गंभीर चिंताओं को साझा किया.”
इस वर्ष 50 से अधिक देशों से WHO को अब तक 3,200 से अधिक मामले और एक मौत की सूचना मिली है. समिति ने सर्वसम्मति से घटना की आपातकालीन प्रकृति को स्वीकार किया और प्रकोप के आगे प्रसार पर काबू पाने के लिए गहन प्रतिक्रिया प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया है.” इस मामले पर विचार करने वाली समिति में 16 वैज्ञानिकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य एक्सपर्ट शामिल हैं और इसकी अध्यक्षता डब्ल्यूएचओ के वैक्सीनेशनल विभाग के पूर्व निदेशक जीन-मैरी ओको-बेले कर रहे हैं.
मंकीपॉक्स के सामान्य शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, सूजी हुई लिम्फ नोड्स और ब्लिस्टर चेचक जैसे दाने शामिल हैं. इसके प्रसार को रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ की वर्तमान योजना प्रभावित जनसंख्या समूहों के बीच जागरूकता बढ़ाने और सुरक्षित व्यवहार और सुरक्षात्मक उपायों पर मुख्यत: केंद्रित है. डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को अपनी आपात समिति की बैठक बुलाई थी. जिसमें ये विचार किया गया कि क्या मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप को वैश्विक आपातकाल घोषित किया जाना चाहिए या नहीं.